कविता मंचन

रंगकर्म के द्वारा कविता को मंच पर आकार देने के क्रम में निम्न कविता मंचन किये गए :-

भागी हुयी लड़कियां, नदी में आग, सरोज स्मृति, मगध, मेरे गाँव का आदमी, तुम जो भी सोचो, माँ तुम कितनी बार स्वयं से ही उग आती हो, आदि।